दशरथ के घर साक्षात पर ब्रम्ह श्री हरि पैदा हुये
बस्ती। श्रीराम का जीवन तो ऐसा पवित्र है कि उनका स्मरणमात्र से हम पवित्र हो जाते है। श्रीराम की मातृ पितृ भक्ति अलौकिक है। वशिष्ठी की नगरी बस्ती धन्य है जहां पुत्रेष्टि यज्ञ से परमात्मा का अवतार हुआ। दशरथ के पास वशिष्ठ जैसे समर्थ गुरू होने के बाद भी वे निःसन्तान थे, उसका कारण मात्र यही कि उन्होने इच्छा ही प्रकट नहीं किया। जैसे ही दशरथ जी ने इच्छा प्रकट किया श्रृंगीऋषि के मार्ग दर्शन में यज्ञ अनुष्ठान सफल हुआ। धरती पर श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ। दशरथ के घर साक्षात पर ब्रम्ह श्री हरि पैदा हुये। जो निर्गुण थे वही भक्तों के प्रेम के कारण सगुण हो गये। चैत्र मास शुक्ल पक्ष और नवमी तिथि को मध्यान्ह में श्रीराम ने धरा पर अवतार लिया। यह सद् विचार कथा व्यास स्वामी स्वरूपानन्द जी महाराज ने नारायण सेवा संस्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित 9 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा दुबौलिया बाजार के राम विवाह मैदान में चौथे दिन व्यक्त किया।
कथा पाण्डाल में जैसे ही श्रीराम का जन्म हुआ ‘भए प्रगट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी’’ के गान के साथ वातावरण प्रसन्नता से भर गया। श्रद्धालु भक्तों ने फूलों की वर्षा किया और सिया वरराम चन्द्र की गूंज से कथा पाण्डाल गूंज उठा। विप्र धेनु सुर सन्त हित, लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार।। के माध्यम से श्रीराम जन्म के कारको की व्याख्या करते हुये महात्मा जी ने कहा कि ‘बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।कर बिनु करम करइ विधि नाना।। परमात्मा सर्व सर्मथ है। जैसे ही श्रीराम का जन्म हुआ आकाश से देव और गन्धर्वो ने पुष्प वर्षा किया।
महात्मा जी ने कहा कि ईश्वर दर्शन होने के बाद तो वेद भी विस्मृत हो जाते हैं। राम केे बिना आराम नहीं है। धर्म का फल है शान्ति, चन्दन और पुष्प से श्रीराम की सेवा करना अच्छी बात है किन्तु उनकी मर्यादा का पालन तो सर्वोत्तम सेवा है।
श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा व्यास का विधि विधान से मुख्य यजमान संजीव सिंह ने पूजन किया। आयोजक बाबूराम सिंह, अनिल सिंह, अनूप सिंह, जसवंत सिंह, रामू, पंकज सिंह, कमला प्रसाद गुप्ता, राधेश्याम, सत्यनरायन द्विवेदी, त्रिभुवननाथ पाण्डेय, डा. कृष्ण प्रसाद मिश्र, हरिशंकर तिवारी, रामकुमार अग्रहरि, गोरखनाथ सोनी, वैजनाथ, डा. उदयभान, धु्रवचन्द्र पाण्डेय, अवधेश सिंह, अजय सिंह, अभिषेक सिंह, अरूण सिंह, दिनेश यादव, जगदम्बा प्रसाद त्रिपाठी, अष्टभुजा पाण्डेय, महिमा सिंह, विभा सिंह, इन्द्रपरी सिंह, शीला सिंह, सोनू सिंह, हर्षित, वर्धन, दीक्षा सिंह के साथ ही बड़ी संख्या में क्षेत्रीय नागरिक श्रीराम कथा में शामिल रहे।