नवी मुंबई : नेरुल के NRI वेटलैंड में एक घायल राजहंस मिला। उसके बाएं पैर में चोट लगी थी। उसे रेस्क्यू किया गया और इलाज हुआ। हालांकि इस फ्लेमिंगो का बायां पैर काटना पड़ा। लेकिन अब वह जल्द ही फिर से उड़ान भर सकता है। मुंबई के अखिल भारतीय शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास संस्थान के व्याख्याता मकरंद सर्राफ और उनकी टीम ने इस किशोर पक्षी को सफलतापूर्वक कृत्रिम पैर दिया है। कृत्रिम पैर लगने से वह चल तो सकेगा, लेकिन उड़ नहीं पाएगा। टीम का अगला लक्ष्य एक ऐसा कृत्रिम पैर बनाना है जो उसे उड़ने में मदद करे।

इस तरह घायल मिला था राजहंस

माना जा रहा है कि पक्षी का पैर मछली पकड़ने के जाल या नायलॉन की मछली पकड़ने की लाइन में फंस गया था। वन्यजीव फोटोग्राफर अभिजीत चट्टोपाध्याय ने सबसे पहले उसे देखा। उन्होंने वन अधिकारियों को सतर्क किया, जिनका नेतृत्व विकास बैरागी कर रहे थे। शुरुआती इलाज के बाद, उसे 15 मई को वापस वेटलैंड में छोड़ दिया गया। लेकिन वह उसी जगह के आसपास घूम रहा था। इसलिए टीम ने उसे चलने में मदद करने के लिए कृत्रिम पैर देने का फैसला किया।
 
फोम इंप्रेशन का विचार छोड़ा गया

संस्थान के निदेशक डॉ. अनिल गौर ने इस परियोजना को हरी झंडी दिखाई। फिर सर्राफ, चट्टोपाध्याय और बैरागी ने 17 मई को प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग करके कृत्रिम पैर के लिए माप लिया। लेकिन पक्षी को इंसानों के संपर्क से परेशानी हो रही थी, इसलिए फोम इम्प्रेशन का विचार छोड़ दिया गया।

इस तरह बनाया कत्रिम पैर

इसके बाद दो कंपनियां आगे आईं। ओटो बॉक हेल्थकेयर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक-विशेष परियोजनाएं अमित मुखर्जी ने कृत्रिम पैर बनाने में मदद की। पोडियाप्रो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ऋषभ शाह ने आंतरिक अस्तर सामग्री प्रदान की। भूमिक्षा राठौर ने तकनीकी जानकारी दी।
टीम ने पैर को बंद पैर से बदलकर सिंगल-टो ओपन फुट कर दिया। इसमें साइड सपोर्ट भी दिया गया। इससे पानी में तैरने की समस्या हल हो गई। 6 जुलाई को इसे फिट कर दिया गया। कृत्रिम पैर से राजहंस का संतुलन, गतिशीलता और जीवित रहने की संभावना बढ़ गई है।

19 जुलाई को जांच में कोई फिटमेंट या त्वचा की समस्या नहीं दिखी

सर्राफ ने कहा कि कार्बन फाइबर को एक्रिलिक राल के मैट्रिक्स के साथ मिलाकर कृत्रिम पैर को हल्का, मजबूत, जलरोधक और टिकाऊ रखने में मदद मिली। यह एक वैडिंग बर्ड की जीवनशैली के लिए उपयुक्त है। कृत्रिम पैर को बनाने में इस्तेमाल हुआ कार्बन फाइबर हवाई जहाज और रेसिंग कारों में भी इस्तेमाल होता है। इससे पैर हल्का भी है और मजबूत भी। पानी में चलने वाले पक्षी के लिए यह बहुत अच्छा है। यह कृत्रिम पैर राजहंस के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है।