देश में शौचालयों का न होना एक अभिशाप था-उपराष्ट्रपति
जयपुर । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने झुंझुनू स्थित परमवीर पीरू सिंह राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ‘स्वच्छता ही सेवा - 2024’ अभियान के उद्घाटन पर मुख्य अतिथि के रूप में उद्बोधन देते हुए कहा कि इस दशक के दौरान प्रधानमंत्री जी की पहल की वजह से लोगों की मानसिकता में क्रांतिकारी और व्यापक परिवर्तन आया है स्वच्छता के प्रति उनकी दृष्टि बदली है। 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उद्घोष एक दशक में दुनिया का सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है और देश में निरंतरता से बदलाव का प्रतीक है। इस दशक के दौरान इस अभियान की वजह से प्रधानमंत्री जी की शुरुआत के वजह से लोगों की मानसिकता में क्रांतिकारी और व्यापक परिवर्तन आया है।
धनखड़ ने कहा कि स्वच्छता के प्रति उनकी दृष्टि बदली है। स्वच्छता के विषय में जनभागीदारी पर ज़ोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश में शौचालयों का न होना एक अभिशाप था जिसे इस अभियान द्वारा खत्म किया गया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की गरिमा से समझौता किया जा रहा था और कितने बड़े पैमाने पर ये मिशन पूरा किया गया जो अब विकास का विविध रूप प्रस्तुत कर रहा है। धनखड़ ने स्वच्छता को स्वभाव, संस्कार और संस्कृति से जोडऩे का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा कि स्वच्छ भारत मिशन, महिला सशक्तिकरण और आजीविका सृजन का एक शक्तिशाली साधन भी बन गया है। गंदगी की मार सबसे ज्यादा अपनी माताओं बहनों पर पड़ती थी। वह तो शुरू से ही स्वच्छता के पक्ष में थी, अब बहुत अच्छा है कि पूरा समाज स्वच्छता के प्रति नतमस्तक हो रहा है। इससे एक नया ग्रुप डेवलप हुआ है। उन्होंने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है।