मौसम ने बदली करवट, राजस्थान में बारिश ने तोड़ा 13 साल का रिकॉर्ड
राजस्थान में मानसून ने पिछले 13 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस बार मानसून में राजस्थान में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। प्रतिवर्ष मानसून में बाढ़ का कहर झेलने वाले बिहार और अरूणाचल से ज्यादा बारिश राजस्थान में हुई है। इस बार प्रदेश में अब तक 699.3 एमएम बारिश हुई है। अभी दो सप्ताह तक बारिश होने की ओर संभावना है।
इतनी बारिश हुई कि राजस्थान के 392 बांध ओवरफ्लो
रिकॉर्ड बारिश के कारण प्रदेश के छोटे-बड़े 691 बांधों में से 392 बांध ओवरफ्लो हुए हैं। वहीं 192 बांध आंशिक रूप से भरे हैं। शेष बांध अब भी खाली हैं। जो बांध नहीं भरे उसका कारण यह है कि बांधों के आसपास बस्तियां बस गईं, बांधों में पानी पहुंचने का रास्ता नहीं रहा है।
खोलना पड़े कई बांधों के गेट
प्रदेश के सभी 691 बांधों में पानी की भराव क्षमता 12 हजार 900.83 मिलियन क्यूबिक मिटर है,जिसमें से 11 हजार 110.87 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का स्टोरेज हो चुका है। यह कुल क्षमता का 72.80 फीसदी है। तेज बारिश के कारण प्रदेश के 57 फीसदी से ज्यादा बांध छलक गए। बांधों के गेट खोलकर पानी निकालना पड़ा है।
प्रदेश में 58 दिन मानसून सक्रिय रहा
जयपुर मौसम केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा का कहना है कि मानसून ट्रफ लाइन का लंबे समय तक सामान्य स्थिति में रहना अच्छी बारिश का प्रमुख कारण है। ट्रफ लाइन ज्यादा समय तक उत्तर दिशा में शिफ्ट हुई और न ही दक्षिण में।
यही कारण रहा कि राजस्थन में प्रवेश करने के बाद से मानसून सितंबर के दूसरे सप्ताह तक सक्रिय रहा है। बैक टू बैक सिस्टम बनना और उनका राजस्थान तक आना मानसून में तेज बारिश का बड़ा कारण है।
बंगाल की खाड़ी से मानसून में कई हल्के और तेज प्रभाव वाले लो प्रेशर सिस्टम बने, ये सिस्टम राजस्थन सीमा तक पहुंचे। इसका लाभ प्रदेश को मिला है।
बारिश में पूर्वोत्तर के राज्यों से आगे रहा राजस्थान
मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में इस साल 25 जून को मानसून ने प्रवेश किया और 17 सितंबर तक अर्थात 85 दिन में से 58 दिन तक मानसून सक्रिय रहा। इस दौरान औसत से ज्यादा बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार इस बार बिहार,अरूणाचल प्रदेश,असम सहित कई राज्यों में औसत से कम बारिश हुई है।
फसलों को हो सकता है नुकसान
तेज बारिश के कारण इस बार खरीफ की फसल को नुकसान हो सकता है। पिछले साल खरीब का रकबा पूरे प्रदेश में 163 लाख हैक्टेयर था जो इस बार 159.80 लाख हैक्टेयर का ही रह गया है। औसत से ज्यादा बारिश का लाभ आगामी रबी की फसल पर देखने को मिल सकता है। जमीन में पर्याप्त मात्रा में नमी होने से इस बार किसान बुआई समय से पहले कर सकेंगे। फसल के लिए सिंचाई का पर्याप्त पानी भी है।